________________
सिद्धान्त वा कर्त्तव्य
सत्तावादका नाश करना ही हमारा परम कर्तव्य है।
मान्यता. भेद और बाह्य क्रियामें धर्म नहीं हो सकता।
-DECEACOCODEO.CODCODococcDDEDODCH
साधु-जीवनकी महत्ता जन-शुद्ध आचारमें ही रही हुई है।
* * * * अपनी कुटेवोंको छोड़ना वही मनुष्यत्व प्राप्त करना है।
* * * * * महान पुरुष वही है जो समानताके पथपर चलता है।
-प्रियंकरविजय
'e
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com