Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 21
________________ हिमालयदिग्दर्शन ९ बजेसे पहिले २ विश्राम कर लें। व इन पुस्तकमे बताये हुए प्रोग्राम के अनुसार अपना सफर जारी रक्खें । (५) यात्रियों को उचित है कि कितनी ही प्यास लगने पर भी खुले गधेरों (झरनों) में पानी न पीते हुये केवल वहीं का पानी पीवे कि जहां नल लगा हो। आगे देवप्रयागसे. यमुनोत्री, यमुनोत्रीसे गंगोत्री और गंगोत्रीसे त्रिजुगी नारायण तक पानीके नल लगे हुये नहीं हैं इसलिए स्वच्छ पानीकी नगह देखकर पानी काममें लेना उचित है । सारे उत्तराखण्ड में “गोपेश्वर"के सिवाय कहीं कुआं देखने को न मिलेगा। (६) देवप्रयाग से यमुनोत्री, गंगोत्री और गंगोत्री से त्रिजुगी नारायण तक कारास्ता टिकरी रियासतमें होकर जाता है। रास्ता इतना अच्छा नहीं हैं कि जैसा ऋषिकेश से देवप्रयाग का है। त्रिजुगी नारायणसे आगेका रास्ता ऋषिकेश से देवप्रयाग तक के रास्ते से अच्छा है। (७) यात्रियोंको उचित है कि प्रत्येक चट्टीसे आगे चलने से पहिले हवा बादल और उन दिनोंकी मौसमका पूरा ध्यान रखें, क्योंकि बारिस व ओले बेटाइम और असाधारण मिरते हैं। (८) यात्रियोंको उचित है कि अपने साथीदारको कभीन छोड़े। उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई हो तो समीप औषघालय या अस्पतालमें चिकित्सा करने वास्ते रख मागे प्रयाण करें मगर रास्तेमें कभी भी छोड़ आगे न बढ़ें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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