Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथमः प्रबन्धः मरकतपविमणिकीलितभूषणधरणं" सुरुचिरचीनसुवस्त्रसुग्रहणं' भूमिप तव धर्मफलेन जय धरणीशपते खेचरभूप जय धरणीशपते ॥ *३ ।। मृगरिपुधृतमणिनिर्मितपीठनिधानं *मृगधरनिभसितच्छत्रपिधानम् । भूमिप तव धर्मफलेन जय धरणीशपते खेचरभूप जय धरणीशपते ।। ४ ।। कमलमुखीकरधुतचमरीरुहनिकरं । विमलचरित्रसुपुत्रकविसरम्। भूमिप तव धर्मफलेन जय धरणीशपते खेचरभूप जय धरणीशपते ।। ५ ।। कनकसुसरसिजरागमणिकोशविशालं विनयगुणनिकरप्रापणशीलम् । भूमिप तव धर्मफलेन जय धरणीशपते खेचरभूप जय धरणीशपते ॥ १६ ॥ धरणिपकरकमलखगजितरिपुजालं सरसिजनेत्रसुलक्षणमूलम् । ५) B कल्पित for कोलित । ६) Only H सुग्रहणं, rest संगहणं । ७) मृगधरः= चन्द्रः । ८) विसरः = समूहः । ९) सरसिजम् = पद्मम् । For Private And Personal Use Only

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