Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 102
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वाविंशतिः प्रबन्धः विरराज सकलहर्ष करं सुरनरहृदयङ्गमवासं जिनपतिसमवसरणमतिरुचिरविलासम् ॥ ३ ॥ सरस सुनर्तन निपुणनिवेशन सुरगणिकाज नखेल “शरदम्बुदनिभगौर त्रिधराभृतवरनाटकशुभशालम् । विरराज सकलहर्ष करं सुरनरहृदयङ्गमवासं जिनपतिसमवसरणमतिरुचिरविलासम् ॥ ४ ॥ पुरुमणिमालामङ्गलतोरणसुरनवनिधिचयभासं निरुपमकान्तसुद्देममयेरित सुललितवेदिविकासम् । विरराज सकलहर्षकरं सुरनरहृदयङ्गमवासं जिनपतिसमवसरणमतिरुचिरविलासम् ॥ ५ ॥ ८ नवनिधिमाल्यसुमङ्गलतोरणनिवहविलोलितधारं ' धवलचतुर्गोपुर शिखरान्वितनवशालावृतिसारम् | विरराज सकलहर्षकरं सुरनरहृदयङ्गमवासं जिनपतिसमवसरणमतिरुचिरविलासम् || ६ || सुललितमणिमय मालामङ्गलकुलचितद्वार विशालं विलसदमलतनुगगनविचुम्बितकलधौत वेदिसुवेलम् । विरराज सकलहर्ष करं सुरनरहृदयङ्गमवासं जिनपतिसमवसरणमतिरुचिरविलासम् ॥ ७॥ ६ ) B नैपुण्यवेशन, M नैपुण्यनिवेशन । ७) A शरदब्द, BM शरदब्ध । ८ ) B विलोलन । ९ ) H काञ्चन for कलधौत | For Private And Personal Use Only ६१

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