Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोदशः प्रबन्धः ३३ [१३ ] जम्बूमति द्वीपवरे विदेहे प्रागाश्रिते धर्मधरोरुदेशे । सुपुष्कलावत्यभिधाप्रतीते श्रीपुण्डरीकिण्यभवत्पुरी सा ॥१ तद्राजधानीपतिवसेनाच्छीकान्तिकायास्तनयो ऽभिजने । वाङ्करालिङ्गित निम्ननाभिः स सार्वभौमः क्षितिपाग्रगण्यः ॥२ मैदनमनोहरभरितसुयोषा सदलिकुलमिलितपरिमलवेषा। काचिदमलगुणाकरा युवती वरपतिमुदिता || *१ ॥ ध्रुवपदम् । इनघनसंगमलसदधिकारा स्तनयुगलोपरि विचलितहारा। काचिदमलगुणाकरा युवती वरपतिमुदिता ॥ २ ॥ कुटिलचलदलकनिटिलदलेन्दुः पटुतरतोषजनितजलबिन्दुः। काचिदमलगुणाकरा युवती वरपतिमुदिता ॥ ३ ॥ १) A अष्टपद । पंचमरागे; B राग-हंसानंदि; S राग । पंचमरागे। २) इनः= चक्रिन् । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119