Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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प्रयोदशः प्रबन्धः
३३
[१३ ] जम्बूमति द्वीपवरे विदेहे प्रागाश्रिते धर्मधरोरुदेशे । सुपुष्कलावत्यभिधाप्रतीते श्रीपुण्डरीकिण्यभवत्पुरी सा ॥१ तद्राजधानीपतिवसेनाच्छीकान्तिकायास्तनयो ऽभिजने । वाङ्करालिङ्गित निम्ननाभिः स सार्वभौमः क्षितिपाग्रगण्यः ॥२ मैदनमनोहरभरितसुयोषा सदलिकुलमिलितपरिमलवेषा। काचिदमलगुणाकरा युवती वरपतिमुदिता || *१ ॥ ध्रुवपदम् । इनघनसंगमलसदधिकारा स्तनयुगलोपरि विचलितहारा। काचिदमलगुणाकरा युवती वरपतिमुदिता ॥ २ ॥ कुटिलचलदलकनिटिलदलेन्दुः पटुतरतोषजनितजलबिन्दुः। काचिदमलगुणाकरा
युवती वरपतिमुदिता ॥ ३ ॥ १) A अष्टपद । पंचमरागे; B राग-हंसानंदि; S राग । पंचमरागे। २) इनः= चक्रिन् ।
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