Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गीतवीतरागप्रबन्धः बन्धुरतीरे सौन्दरनीरे मन्दसुगन्धसमीरे नन्दितसारे रुन्द्रगभीरे चन्द्रकिरणनिभगौरे । सकलय देव प्रकटसुभाव स्मरसमरूपविभार सुखपद जात सरसविनीत सरभसकार्यमुदार ॥ २ ॥ परिमलभरिते ऽमृतजलनिचिते दरसुविदलितसरोजे वरमणिकीलितमकुटविभूषित सरसि सवनमभिराजे सुकलय देव प्रकटसुभाव स्मरसमरूपविभार सुखपदजात सरसविनीत सरभसकार्यमुदार ।। ३ ।। उदकतरूद्भवसदमलरसनवदधिघृतक्षीरसमाजा मुंदितसुरोकप्रदलितशोकप्रदयकजिनपतिपूजाम् । सुकलय देव प्रकटसुभाव स्मरसमरूपविभार सुखपदजात सरसविनीत सरभसकार्यमुदार ॥ ४ ॥ सुरुचिरभावोत्करश्रितसेवां सुरततिविरचितसेनां पुरुजिनमार्ग वरसुखसर्ग विरचितपुण्यविधानाम् । सुकलय देव प्रकटसुभाव स्मरसमरूपविभार सुखपदजात सरसविनीत सरभसकार्यमुदार || *५ ॥ भावजधीरभावितनाराचाविलुलितशुभगात्र सेवितलेप पावनरूप जीवनजानननेत्र। सुकलय देव प्रकटसुभाव स्मरसमरूपविभार सुखपदजात सरसविनीत सरभसकार्यमुदार ॥ ६ ॥
४) सुर + ओक । ५) भावजः = मन्मथः । ६) जीवनजं= कमलम् ।
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