Book Title: Geet Vitrag prabandh
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षष्ठः प्रबन्धः श्रीवनदन्ताख्यनरेन्द्रपुत्री त्वयोक्तजन्मान्तरसत्कलत्रम् । श्रीमत्यभिख्या गुणरत्नपात्रं पैतृष्वसेयी लिखितात्र चित्रम् ॥४ इति श्रीमदभिनवचारुकीर्तिपण्डिताचार्यवर्यस्य कृतौ गीतवीतरागे वज्र जपट्टकार्थविवरणो नाम पञ्चमः प्रबन्धः ॥५॥ [६] गतभवमिलितां तां वज्रदन्तात्मजातां विरहदहनदग्धां श्रीमती प्रौढकान्ताम् । त्वदभिगमनलीनालोचनं प्रार्थ्यमानां सपदि सुभग गत्वा खण्डितां रक्ष भूप ॥१ सेवितां नवयौवनायतरूपकान्तिचयेन आवृतां निजदेहभानुविसारणावरणेन । धर धर कृतादरमानसेन ।।१॥ राजितां जितवजुलामलपादपल्लवकेन भ्राजितां भ्रमरालिसेवितपादपद्मयुगेन । धर धर कृतादरमानसेन ।। *२॥ भासितां धृतमारबाणधिजानुयुग्मधरेण काशितां स्मरहस्तिदन्त निभोरुरूपवरेण । धर धर कृतादरमानसेन ।। *३॥ १) B मोहकान्ताम् । २) AS माळव गौडरागेः; B राग-कल्याणि; M राग-काम्भोदि । For Private And Personal Use Only

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