Book Title: Dwait Samrajya
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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 68 // सर्वज्ञईश्वरइतिब्रुवताज्ञातएवहि // सर्वशब्दार्थकोनोचेद्यर्यताबुध्नशब्द वत् // 69 // प्रातिस्विकंनजानामीतिचेच्छब्दार्थविद्भवान् // नवावदायेयत्किचिदक्तिजानातितद्भवान् // 70 // नचेत्त्वमीश्वरेकंवाधर्मसाधयितुंप्रभुः // यदि सर्वज्ञताजीवेवदकिंमेमनःस्थितम् ॥७१॥इतिचत्प्रश्नविषयस्तकिंचेत्सकिमर्थकः // काकिंशब्दार्थइतिनप्रश्नःकिंतूत्तरंहितव ॥७२॥अस्तुसर्वज्ञतास्माकंसर्वकर्तृत्वकंकथम् // इतिचेच्छक्यसर्वस्यकर्तृत्वंत्वयिचेश्वरे॥७३॥ अशक्यसर्वकर्तृत्वनेश्वरेनापिचवयि॥नित्यसिद्धासर्जनेनयुक्तंशक्यविशेषणम्॥७४॥सत्यसंकल्पताचेशेमयिनास्तीतिचेबद॥संकल्पेवाथविषयेक्ववासत्यविशेषणम् // 75 // त्वत्संकल्पेऽपिसत्यत्वं नचेत्तत्रापिनास्तितत् // येनैवहेतुनामिथ्यात्वत्संकल्पोविचारितः // 76 // तेनैवहेतुनामिथ्यासभवेदीश्वरस्यहि // कल्पितत्वंयदाहेतुरुभयत्रसमोऽस्तिसः॥७७॥ईशसंकल्पसंशान्त्यालयश्रुतिसमन्वयः॥पुनःसंकल्पजननात्सृष्टिश्रुतिसमन्वयः॥७८॥ For Private and Personal Use Only

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