Book Title: Dwait Samrajya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूक्ष्मचिचितोर्ब्रह्मशरीरत्वाद्ब्रह्माभेदोवास्तवः // 342 // इत्थंस्थूलयोरपिब्रह्मादः। अणुश्चिद्रपोजीवः // ब्रह्मशरीरत्वाद्ब्रह्माभिन्नःस्वरूपस्वभाववैलक्षण्यादिनाश्चैते इतिरामानुज पाहतत्रैतच्चविचार्यते // सर्वज्ञचितासूक्ष्मेचिदचितौअभिनेइतिवदताऽ चिच्छब्दश्चिच्छब्दोवाकथंप्रयुज्यतेचिदभेदेऽचित्त्वाभावादचिदभेदेचित्त्वा भावाच // प्रकाशतमसोरिवाभेदासम्भवाच्च // अभेदेऽपिकारणत्वासम्भवाद् तथाहि सूक्ष्मचिदचिदिशिष्टंब्रह्मजगत्कारणमितिवदतासूक्ष्म चिदचितोर्जगत्कारणतावच्छेदकत्वमंगीकृतंतत्रप्राथमिकमहत्तत्त्वपरिणामेमूक्ष्मत्वापगमावकारणतावच्छेदकरूपा भावात्कारणाभावादुत्तरपरिणामोनस्यात् // चिदचिदनुवृत्तिवत्सूक्ष्मत्वस्याप्यनुवृत्तावुत्तरोत्तरकार्यस्थूलत्वासम्भवात्स्थूलचिदचिदात्मजगदित्युक्ति संगच्छेत // तत्रस्थूलत्वासम्भवात् // नचापेक्षिकंसूक्ष्मत्वंस्थूलत्वंचसमादायोत्तरोत्तरकारणतामिर्वोदशक्याचरमकार्येब्रह्मवासम्भवात्सर्वब्रह्मेतिवाक्यविरोधः // निरपेक्षमू For Private and Personal Use Only

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