Book Title: Dwait Samrajya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स० सा० // 20 // // 20 // दहादिषुगौणानीतिवदतोदाशरथिरित्यादौचेतनेऽपत्यत्वस्यजन्यत्वव्याप्यस्यानुपपत्तिः // तदुपपत्त्यर्थजन्यत्वांगीकारेनास्तिकमतप्रवेशः // देहगतंजन्यवंआत्मन्यध्यस्ययदिशब्दप्रवृत्तिस्तदागौणत्वंगलेपतितम् // चैत्रादिशब्दानांचैत्राद्यात्मन्येवमुख्यवृत्तिस्वीकुर्वतोद्वितीयचैत्रशब्दार्थआत्मोतान्यः / अन्यश्चेच्चेतननामतानस्यात् आत्माचेद्देवदत्तादिपर्यायतापत्तिः॥चैत्रदेहायुपलक्षितश्चेदत्रापिचैत्रदेहशब्दयोरात्म नैवार्थवत्त्वानदेहोपस्थितिः // देहशब्दस्यदेहेएववृत्त्यंगीकारेपिदेहत्वेनयावदेहानामु पलक्षणत्वेनपुनःपर्यायतापत्तिःचैत्रशब्दवैयर्थ्यापत्तिश्च // चैत्रोहंजानामीतिप्रतीत्यादेहात्मनोरभेदांगीकारप्रयासोनिष्फल चैत्राहंशब्दयोरात्मनैकार्थ्याद // देहवा|चित्वेवभेदहाराशब्दप्रवृत्तेर्गौणता // परिणाम्यपरिणामिनोस्तिवाभेदासंभवादाध्यासिकास वास्तवाभेदांगीकारेदेहनाशेऽनात्मत्वप्रसंगात् // चिदंशपरिशेषेपितस्य मात्मतास्यात् // तवचिदचिदात्मवादित्वात् // कस्यचिज्जडांशस्यपरिशेषेपिआंशि For Private and Personal Use Only

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