Book Title: Dwait Samrajya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० // 19 // क्ष्मत्वेनसापेक्षसूक्ष्मत्वस्यविरोधात्तत्सामानाधिकरण्येनतदुत्पत्तेरसम्भवात् // किं- सा० चसापेक्षसूक्ष्मत्वस्यापिकार्यत्वानिरपेक्षसूक्ष्मत्वानुप्रवेशस्यतत्रासम्भवात्सापेक्षसूक्ष्मत्वोत्पत्तिरेवनस्यात् // तदभावेचतत्सामानाधिकरण्येनस्थूलत्वानुत्पत्तेजंगदनुपपनस्यात् // किंचावयवोपचयंविनाप्राग्विद्यमानैरेवावयवैःस्थूलत्वासम्भवात्स्वकारणावयवातिरिक्तावयवासम्भवाज्जगदनुपपन्नमेव // किंचचिज्जडब्रह्मवादिमतेऽचिदंशस्यैवपरिणामाज्जगत्कारणत्वंछत्रिन्यायेनसमुदायेगौपचारिकमापतेव // आपनेचमुख्यकारणत्वंप्रकृतिशब्दवाच्येऽचिदंशेएवपर्यवसनम् // पर्यवसनेचसांख्यमतादविशेष अविशेषेचईक्षणाद्यसंभवाज्जगत्कारणत्वानुपपत्तिः // अनुपपन्नेचछत्रिन्यायेनाप्युपचाराभावाद्ब्रह्मत्वासंभवः // यदिशक्तित्वार्थभिनासत्तानांगीकरोषितर्हिप्रकृतिब्रह्मशक्तिरितिवदताब्रह्मत्वंचिदंशेएवांगीकृतंतत्रचिदभिनायाः | शक्तरचित्त्वासंभवादचितःस्तंभकुंभादिवच्छक्तित्वासंभवात्केवलचिद्रूपत्वेस्वस्यस्वश // 19 // For Private and Personal Use Only

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