Book Title: Dwait Samrajya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० // 18 // नन्दत्वेनचेल्लोकेपार्थिवत्वेनभिन्नता // नदृष्टातःकोविशेषोविष्णोःस्वाभेदसंश्रये ॥सा० // 33 // अथावयवशून्यत्वेप्रतिज्ञाहानिमाश्रय॥ब्रह्मावायूरमाचेतिप्रतिबिंबाइतिब्रुवन् // 34 // वदतुक्कत्वयादृष्टःप्रतिबिंबोऽयमीदृशः॥ बिंबानुरूपतादृष्टातर्खेवप्र(तिबिम्बता // 35 // वचनानांबलाच्चेत्कियूपआदित्यतामियात् // यावत्स्याद्विम्बसानिध्यन्तावत्तुप्रतिबिम्बकः // 36 // प्रतिक्षणव्याटतानाम्ब्रह्मादीनांप्रतिक्षणम् // विष्णुविश्लेषतोनाशःप्रतिक्षणमहोभवेत् ॥३७॥व्यापकत्वानविश्लेषइतिचेदिहदर्पणे // प्रतिबिम्बस्त्वयाकेनहेतुनाविनिवार्यते // 38 // मुक्तावप्येवमेवैतेब्रह्माद्यास्तारतम्यतः // तिचंतितवसिद्धान्तेमुक्तयाकिन्तैःसमर्जितम् ॥३९॥दुःखहेतौतारतम्येकथंतेसुखभागिनः // निष्कामत्वान्मुक्तयवस्थानतेषांदुःखकारणम् // // 40 // इतिचेत्प्राङ्मुक्तितस्तेस्युस्तुल्याअस्मदादिभिः // मुक्तावदुःखहेतुत्वात्तार-|| तम्यंथेष्यते // 41 // सूक्ष्मचिदचिदिशिष्टंब्रह्मस्थूलचिदचिदिशिष्टंब्रह्मजगव // // 18 // For Private and Personal Use Only

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