Book Title: Dwait Samrajya
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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० इत्थंनियमसद्भावादभावग्रहणकथम् // इंद्रियाणांहिसंयोगेजागृतिःस्यानसुप्तता // सा० // 56 // तस्माच्चचरमज्ञाननाशोनैवोपपद्यते // पुरीतदंतःसंयोगानाशश्चेज्ज्ञान॥१४॥ नाश्यता // 57 // गतातथाचरमताकथंसिध्यतितहद // नाशाच्चरमतासिद्धि श्वरमत्वाच्चनाश्यता॥५८॥ इत्थमन्योन्याश्रयतादोषानाशोनसिध्यति // संयोगांतरसिध्यर्थव्यापारश्चेष्यतेनवा // 59 // आयेव्यापारसमयेपूर्वसंयोगनाशतः // ज्ञाननाशोभवेन्मध्यआंध्यंदुरिमेवहि॥२६०॥हितीयेपिचसंयोगांतरासंभवतःखलु॥ ज्ञानोत्पत्तिर्नसिध्येच्चतेनचेयुगपद्भवेत् // 61 // परस्परविरोधेनयुगपन्नाशिताभवेत् // अविरोधेतुतिष्ठेच्चगतानाशीयहेतुता॥६२॥चिद्रूपआत्मनितथासांशेतःकरणेपिच // कालेशोज्ञाननिष्पत्तिःकथंचेच्छृणुतत्क्रमम् // 63 // देहोत्पत्ति // 14 // विनाशाभ्यामात्मोत्पत्तिविनाशकौ // यथातथावुद्धिवृत्तिनाशोत्पत्तिभिरिष्यते // // 64 // तदभिव्यक्तियोगेनव्यवहारोस्तिलौकिकः // अन्यथात्वात्मनित्यत्वंव्य For Private and Personal Use Only

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