Book Title: Dwait Samrajya
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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयेचितोवामूर्तेर्वापरिणामोभवेद // चितस्तुपरिणामेऽपिनाशापत्ते सांपतम्। // 85 // द्वितीयेमूलमूर्तेश्चस्वरूपेणकथंस्थितिः // अचिंत्याशक्तिरीशस्पतयारामादिसंभवः॥ 86 // इतिचेन्मन्मतामायाकुतोनस्वीकृतात्वया // सतीत्वेशक्तितानस्यात्स्तम्भेकुंभेक्वशक्तिता॥ 87 // असतीशश, भाकर्थवास्वीकृतात्वया। उक्तोभयविरुद्धाचेत्सवमायाप्रकीर्तिता // 88 // सयारामादिसृष्टिश्चेज्जगत्सृष्टिःकुतोनहि // रामादीनामभिन्नत्वेजगतोऽपिकुतोनहि // 89 // अभिन्नत्वेतुसर्वास्माह्येकएवहरिस्थितः // कथंसर्वोत्तमत्वंस्यादेकवस्तुनिनिईये // 290 // सर्वपुरुषएवेतिप्रोक्तंपुरुषसूक्तके // बलाबलविचारेतुशिवाद्याअपिचोत्तमाः // 9 // अंशांशितायामपिचभेदोजीवेशयोयदि // अंशांशितानोपपत्राभिन्नत्वात्स्तम्भकुम्भवत् // 92 // किंचभेदंसमाश्रित्यतत्त्वमित्यत्रवाक्यके॥ तस्यत्वमितिमाध्वोऽसौसमासंपाहसादरम् // 93 // समासोनैवयुक्तोऽयंयुष्मदर्थविशेष्यकः॥समासेऽपिच For Private and Personal Use Only

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