Book Title: Dhyanashatak Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Kanhaiyalal Lodha, Sushma Singhvi Publisher: Prakrit Bharti AcademyPage 11
________________ श्री कन्हैयालालजी सा. लोढ़ा एवं डॉ. सुषमा सिंघवी के अथक प्रयासों से इस पुस्तक का सम्पादन हो पाया है। अनुवाद के साथ श्री लोढ़ा सा. ने आवश्यकतानुसार टिप्पणियाँ भी की हैं। श्री लोढ़ा सा. जैन और बौद्ध धर्म के प्रमुख विद्वान् व चिन्तक हैं। ज्ञान और चिन्तन के साथ वे ध्यान की साधना के लिए भी विख्यात हैं। विशेष रूप में विपश्यना के प्रमुख विद्वान् और साधक हैं। उनके प्रति हम आभारी हैं। इसमें उनके मौलिक चिन्तन की भी छाप है। डॉ. सुषमा सिंघवी वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा के जयपुर क्षेत्रीय केन्द्र में निदेशक हैं। वे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में संस्कृत की सह-आचार्य रही हैं। संस्कृत, प्राकृत भाषा-साहित्य के साथ ही उन्होंने पातञ्जल योगदर्शन तथा योग की अन्य परम्पराओं का भी अध्ययन किया है। उनके विद्वत्तापूर्ण अनुवाद व प्रस्तावना के लिए हम उनके भी आभारी हैं। श्री सागरमलजी जैन के भी हम आभारी हैं कि उन्होंने पुस्तक की विद्वत्तापूर्ण भूमिका लिखी। —देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक प्राकृत भारती अकादमी 10 ध्यानशतक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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