Book Title: Dhyanashatak
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Kanhaiyalal Lodha, Sushma Singhvi
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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जो सुनिपुण है, अनादि अनन्त है, जगत् के जीवों का हित करने वाली है, अनेकान्तात्मक होने से यथार्थ ग्राही के द्वारा सेवित है, अमूल्य है, परमित है, अजेय है, महान् अर्थ वाली है, महान् सामर्थ्य से युक्त है, महान् विषय वाली है, निरवद्य है, अनिपुण मति के लिए दुर्ज्ञेय है, गहन है, नयभंग तथा प्रमाण ज्ञाता द्वारा ग्राह्य है ऐसी जगत् की प्रदीप स्वरूप जिन भगवान् की आज्ञा का आशंसा से मुक्त होकर ध्यान करना चाहिए। जिससे धर्म ध्यान में स्थित हो सके । यह धर्म ध्यान का 'आज्ञाविचय' नामक प्रथम प्रकार है ।
व्याख्या :
आज्ञा विचय का अर्थ है आज्ञा का विचार या आज्ञा का अनुचिन्तन करना । यहाँ आज्ञा शब्द से वही आज्ञा ग्राह्य है जिससे आज्ञापालक का हित हो और किसी भी प्राणी का अहित न हो। ऐसी सर्वहितकारी आज्ञा वीतराग - सर्वज्ञ महापुरुष की ही हो सकती है।
राग ही समस्त दोषों, अशुद्धियों व अधर्म का मूल है। वीतराग देव राग- ग-द्वेष रहित व शुद्ध स्वभाव रूप धर्म को धारण करने वाले होते हैं, अतः उनके सर्वआदेशों का उद्देश्य, राग की निवृत्ति हो और स्वभाव रूप धर्मप्राप्ति हो, यही रहता है । इस दृष्टि से आज्ञा में धर्म है, यह फलित होता है ।
जिसका हृदय राग-द्वेष, विषय-कषाय आदि दोषों से कलुषित हो, ऐसे अपूर्ण छद्मस्थ पुरुष की आज्ञा सर्वहितकारी हो, ऐसा नियम नहीं है, जिससे किसी का भी अहित या अकल्याण हो ऐसी आज्ञा का धर्म ध्यान के क्षेत्र में कोई स्थान नहीं है । अतः प्रकृत में आज्ञा शब्द से वीतराग देव की सर्वहितकारी आज्ञा ही ग्राह्य है ।
जिस प्रकार बालक के जीवन के विकास क्रम की प्रारम्भिक अवस्था में संरक्षक या अभिभावक की आज्ञा का बड़ा महत्त्व होता है, कारण कि बालक की बुद्धि इतनी विकसित व परिष्कृत नहीं होती है कि वह अपने हिताहित को सोच सके, कर्तव्य-अकर्तव्य का निर्णय कर सके । अतः अभिभावक की आज्ञा बालक के लिये हितकारी, खतरों से बचाने वाली, प्रगति पथ पर बढ़ाने वाली व जीवन को सफल बनाने वाली होती है; इसी प्रकार साधना के विकास-क्रम में अपने अभिभावक वीतराग अरिहन्त देव या गुरु की आज्ञा का बड़ा महत्त्व है। साधक का हित वीतराग देव की आज्ञापालन में ही है। वीतराग की आज्ञा साधक के लिये हितकारी, विघ्नों से बचाने वाली, प्रगति पथ पर बढ़ाने वाली, जीवन को सफल बनाने वाली, सिद्धि या मुक्ति दिलाने वाली होती है ।
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ध्यानशतक 89
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