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वह भी लोहे के साथ ही पीटी जाती है। इसी प्रकार प्राणी भी देह आदि के साथ ममत्व बुद्धि रखने से उन पर होने वाली प्रक्रिया से व्यथित होता है । पृथक्त्व भाव से देह आदि पर-पदार्थों से ममत्व बुद्धि हट जाती है, तादात्म्य मिट जाता है, जिससे उन पर होने वाली क्रियाएँ-घटनाएँ प्राणी को व्यथित नहीं करती हैं।
अव्यथा के स्थान पर सूत्रों में कहीं-कहीं अवस्थित शब्द आता है, जिसका अर्थ है स्थिर रहना, चलायमान न होना। यह अव्यथा का ही दूसरा रूप है, क्योंकि चलायमान होना ही क्षोभ है और क्षोभ ही व्यथा है। अतः अव्यथा और अवस्थित समान अर्थ के द्योतक हैं। चलायमान वही व्यक्ति होता है जो निमित्तों से प्रभावित होता है। निमित्त से प्रभावित वह व्यक्ति नहीं होता है जिसने निमित्तों से पृथक्त्व स्थापित कर लिया हो। अतः पृथक्त्व भाव से आत्मा में अवस्थित लक्षण की अभिव्यक्ति होती है।
असम्मोह-मोहित न होना ही असम्मोह है। यह शुक्ल ध्यान का दूसरा लक्षण है जिसका अभिप्राय है शुक्ल ध्यानी सम्मोहित नहीं होता है। मूर्च्छित होना, ममत्व करना, दूसरों के प्रभाव से प्रभावित होना, दूसरों के निर्देशों में आबद्ध हो जाना, ऋद्धि-सिद्धियों के चमत्कारों से चमत्कृत होना सम्मोह के ही रूप हैं।
मनोविज्ञान का यह नियम है कि वही व्यक्ति सम्मोहित होता है जो वस्तु, व्यक्ति आदि पर-पदार्थों को महत्त्व देता है, उन्हें मूल्य प्रदान करता है और उन्हें शक्तिसम्पन्न मान उनसे अनुग्रह की आकांक्षा रखता है, उन्हें आत्मसात् करता है, परन्तु शुक्ल ध्यानी इन सब पदार्थों से पृथक्त्व का बोध व अनुभव कर लेता है। उसके लिये वस्तु, व्यक्ति आदि समस्त पर-पदार्थों का कोई अर्थ व मूल्य नहीं रहता है तथा साधना के फलस्वरूप प्राप्त अलौकिक लब्धियाँ, ऋद्धियाँ, सिद्धियाँ या चमत्कारों को भी निस्सार समझता है। इसलिये वह इन सब से सम्मोहित व प्रभावित नहीं होता है।
विवेक-मूढता या जड़ता न रहकर सजगता रहना ही विवेक है। जड़ता जड़-पदार्थों में अपनत्व भाव से आती है। तन, धन आदि जड़ पदार्थों से अपनत्व भाव हटकर पृथक्त्व भाव का आविर्भाव ही विवेक है। कहा भी हैदेहविविक्तं प्रेक्षते आत्मानं तथा च सर्वसंयोगान् विवेकः अर्थात् देह और सर्व संयोगों से आत्मा को नीर-क्षीर के समान पृथक् समझना ही विवेक है। पृथक्त्व भाव से अनात्म जड़-पदार्थों में अपनत्व नहीं करता है, इससे जड़ता, मूढता या प्रमाद मिट जाते हैं और सतत सजगता या विवेक बना रहता है।
118 ध्यानशतक
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