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आज की सुबह शबहाए तमन्ना की लहर आज की सुबह मेरे कैफ का अंदाज़ न कर
ओशो का सारा जीवन-दर्शन, उनके कृतित्व के सारे आयाम प्रेम और ध्यान पर केंद्रित हैं
इश्क़ है सहल मगर हम हैं वो दुश्वार-पसंद कारे-आसां को भी दुश्वार बना लेते हैं
ओशो कहते हैं, वर्तमान में जीना सीखो। जहां हो, वहां होना सीखो, अगर वृक्ष के पास हो तो वृक्ष के पास रहो...जो करो उस कृत्य में पूरे मौजूद हो जाओ। भोजन करो तो भोजन ही करो, और कुछ न करो। स्नान करो तो स्नान ही करो
और कुछ न करो। और तुम अचानक चकित हो जाओगे, यह स्नान भी प्रार्थना बन गया। स्नान भी पूजा हो गई। भोजन भी भगवान को लगाया भोग हो गया।...ध्यान का अर्थ है, क्षणभर के लिए समाधि में उतर जाना। समाधि का अर्थ है, ध्यान का सतत हो जाना।
• बुद्ध ने संदेह से यात्रा की और शून्य पर पूर्ण की। संदेह और शून्य के बीच में बुद्ध की सारी यात्रा है। ___ ज्ञान ज्ञान के संग्रह का नाम नहीं। ज्ञान अज्ञान में उतरी किरण है। अज्ञान के स्वीकार-भाव में उतरी किरण है। अज्ञान की शून्यता में भर गया पूर्ण है।...तुम्हारे चैतन्य के घड़े में जरा भी जगह नहीं है, यह व्यर्थ की चीजों से भरा है-उलटा दो इसे, खाली हो जाओ। ध्यान का अर्थ है, उलीचना, खाली होना...ध्यान तुम्हारे घड़े को खाली कर देगा ज्ञान से। ध्यान तुम्हें जगाएगा तुम्हारे अज्ञान के प्रति। यह पहली घटना होगी। और जिस दिन घड़ा खाली हो जाएगा, उसी दिन तुम पाओगे, उस घड़े में कुछ उत्तरने लगा है अलौकिक
उतरने लगा कोई पार से आने लगी दूर की आवाज़ बरसने लगे मेघ
उसी क्षण आकाश पृथ्वी से मिलता है; उसी क्षण परमात्मा आत्मा से।
इति पो सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो विज्जाचरण संपन्नो सुगतो लोकविद्