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प्रवचन-४९ और देशसेवा तो मात्र कहने की बातें होती हैं। वास्तव में देखा जाये तो राजकीय क्षेत्र में गये हुए लोग अपने परिवार की ही सेवा कर लेते हैं। अपनीअपनी हैसियत के अनुसार ५-२५ लाख बना लेते हैं और एक दिन, जब पाप का परदा उठता है तब सर्वनाश के गहरे खड्डे में डूब मरते हैं। पदप्राप्ति की स्पर्धा में कितनी हत्याएँ होती हैं, क्या आप नहीं जानते? कितने दूषण फैलते हैं, क्या आप नहीं जानते? चुनाव बनाम लूट मची है लूट! ___एक गाँव में जब हम लोग पहुँचे तो गाँव में सन्नाटा था। मैंने पूछा एक भाई से, 'क्यों गाँव मौन होकर बैठा है?' उसने कहा : 'कल चुनाव है, वोटिंग होनेवाला है, इसलिए आज प्रचारसभाएं बंद हैं और माइक से प्रचार बंद है।' मैंने कहा : 'लेकिन रास्ते पर लोगों की चहल-पहल भी नहीं दिखती, क्या बात है?' तब उस युवक के मुख पर मुस्कराहट फैली और धीरे से उसने कहा : कुछ लोग तो गये हैं धोती और साड़ी की प्रभावना लेने! एक उम्मीदवार लोगों को धोती और साड़ी दे रहा है और दूसरा उम्मीदवार रात होने पर शराब की बोतलें वितरित करनेवाला है।
लोग भी ऐसे प्रलोभनों में आकर, अयोग्य व्यक्तिओं को अपने मत दे देते हैं! लोभी मनुष्य विवेक तो कर नहीं सकता कि कौन व्यक्ति सुयोग्य है और कौन अयोग्य है। राजनीति में प्रलोभन एक बहुत बड़ा मित्र माना गया है। प्रलोभन लेनेवाला खुश होता है और प्रलोभन देनेवाला भी अपना स्वार्थ सिद्ध होने पर खुश होता है। परन्तु एक दिन दोनों को रोना पड़ता है। राजनीति में जाने से पहले योग्यता जाँचो :
'किसी भी प्रकार हमें पद प्राप्त करना है।' ऐसी तीव्र इच्छावाले लोग अच्छे-बुरे सभी उपायों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोग हिंसा भी करतेकरवाते हैं, असत्य बोलते हैं, चोरी भी करते हैं....अपने प्रतिस्पर्धी का अपहरण भी करवाते हैं। दुराचार-व्यभिचार का सेवन करते हैं, बुरे कार्यों में सहयोग देते हैं। इसलिए कहता हूँ कि पद की तीव्र इच्छा नहीं करें।
सभा में से : तो क्या हम लोगों को राजकीय क्षेत्र में नहीं जाना चाहिए?
महाराजश्री : यदि राजकीय क्षेत्र में जाना है तो अपनी योग्यता का पहले विचार करो। अपने मनोबल को वैसा बनाओ कि किसी भी प्रलोभन के सामने आप अडिग रह सको। अवसर आने पर पद-सत्ता को लात मार सको। आप
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