Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 10
________________ Shri Maharan Aradhana Kendra Acharya Shri Kallassagarsus Gyarmandir गनगएसमाणेनरएसु शत्येगईए उवयझिज्जा शत्येगहए नोउबजिज्जा ? गोयमा ! जेणं जीवे गनगएसमाणे सनीयं पंचिंदिए सवाहिं पजातीहिं पजन्नए वीरियलछीए वित्नंगनाणलहीए वेउशिलहीए विउविलछि पते पराणीशंगई सच्चानिसम्मएएसेनिबुहुइ निबुहिताविउठिसमुग्धाएणं समोहणइ समोहणितावाउरंगिणिं सिंग्लंसन्नाहत्त सन्नाहिताएराणीए सिठिसंगामसंगामेह से गजीवेशत्यकामए रेजाकामए नोगकामए रशकंखि ए रजकंखिए नोगकंखिए कामकंखिए थपिवासिय रजपिवासिए नोगपियासिए कामपिवासिए थपिवा सिए तच्चित्तेतमाणे तल्लेसे तदनवसिए नन्निछप्नवसाणेनयाहावउन्ते तदप्पियकरणे तनावणानायिएएयं सिवणं शंतरंसिकालकरिजा नेरइएसुववजिज्जा से एएणं एवं बुच्चइ गोयमा! जीवेणं गनगएसमाणे नरइएसु शत्यगइए उववजिज्जा अत्यगईए नो उववजिज्का जीवेणं नंते ! गनगएसमाणे देवलोएसु उववजिज्जा गोयमा ! ा त्यगईए उबयजिज्जा त्यगईए नोउववजिज्जा सेकणठेणं नंते ! एवं वुच्चइ शत्येगइए उववजिज्जा शत्थेग इए नोउववजिज्जा गोयमा ! जेणं जीवेगनगएसमाणेसनी पंचिंदिए सहाहिं पजात्तीहिं पजन्तए विउछिए लछीए बीरियलहीए उहिनाणलहीए नहारूवस्ससमणस्सवा माहणस्सवा शंन्निए एगमविश्वारियं धमियसुवय णं मुबानिसम्मत उसेनवइ तिवसंवेगसंजायसह तिवधम्माणुरायरत्ते सेणं जीवे धम्मकामए पुत्रकामए सग्गकामए For Private and Personal Use Only

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