Book Title: Dashpayanna Mul Sutra Author(s): Jain Prabhakar Press Publisher: Jain Prabhakar Press View full book textPage 8
________________ Shri Mahajan Aradhana Kendra www.kobaithang Acharya Shetallessaarsun Gyarmandir हारथाहारितामृणवलंजामइ बचावदियाउपाणिवधमणाउनवनउमासावितीकमोतिहबा पतइ संखसयमुजतं बारसवासाउगलस्स १५॥ दाहिणकुत्यीपुरीसस्सहाड वामायइत्याएन उत्नयंतरेनपुंसेति रिएशष्ठ बरिसाइ १६॥ इम्मोखलुजीवो शम्मापियोसंयोगे माउउयंपैउसुक्ततंतदुनयसंसठंकलुसकिछिसंतप्पढमयाए १७॥ शाहारंशाहारितागतताए वक्कमइ सप्ताहकलहंहोइ सत्ताहहोइशचुयं शचुयाजायए ऐसीऐसीउविघणंमवे १८ ॥ तोपढमेमासेकरि मृणंपलंजायइ बीएमासेपेसीसंजायएघणांतइए मासेमाउएकोहलंजणइ ॥ १९॥ चउत्येमासे माऊए शंगाइंपीणड पंचमेमासेपंचपिंझियाउपाणिपायंसिरंचेवनिवतेइ ॥ २०॥ बठेमासेपिनासोणियं उववि णेइ सतमेमासेसन्तसिरात्मयाई पंचपेसीसयाई नवधमणीउनवनउयंचरोमकूबसयसहस्साइंनिवन्लेइ ॥ २१ ॥ विणकेसंमंसुणसहकेसमंसुणा अछाउरोमपूर्वकोमिउनिवन्लड शठमेमासेविन्तीकप्पोहबह ॥ २२॥ जीवस्सणं नंते ! गप्नगयस्ससमाणस्स शत्यिउच्चारेइवा पासवणेइया खेलेवा सिंघाणेइवा वंतेडवा पतेड़वा सुक्कीइवा सोगिएइवा नोडणठेसमठे सेकेणठणं नंत! एवं बुच्चड जीवस्सणं गनगयस्ससमाणस्स नस्थिउच्चारेडवा जाव सो णिएडवा गोयमा ! जीवेणं गनगएसमाणे जं शाहारंमाहारेड तं विणाइ सोइंदियनाए चरिकदिशनाय घा णिदिश्चलाए जिनिंदियन्नाए फासिंदिशनाए शठिमंजकेसमंसुरोमहत्ताय से पएण थठेणं ॥ गोयमा ! एवं वुच्चइ जीवस्सणं गनगयस्ससमाणस्स नत्यिउच्चारेइवा जावसोणिएइया ते गप्नगएसमाणेपऊमुहेणं काबलियं चड जोबस्तात विणाइ पण थप For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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