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भगवान् नेमिनाथ और कृष्ण
नेमिनाथ और राजीमती के विषय में जैन बहुत कुछ होंगे, छोटे बच्चे भी कुछ न कुछ जानते होंगे, फिर भी इस विषय में कुछ लिखना बोधप्रद होगा ।
मैं जब बनारस में था तब अखबारों में दुष्काल का समाचार पढ़ता था और पशुओं के मरने के समाचार से मेरा मन अति उद्विग्न होता था । मनुष्य भी मरते हैं किन्तु हमारा ध्यान मूक पशुओं की ओर अधिक आकृष्ट होता है । उस समय मैं आचार्य हेमचन्द्र के जीवन से सम्बद्ध एक पुस्तक की प्रस्तावना पढ़ रहा था । उसमें नेमिनाथ का उल्लेख मिला । तब से इस विषय पर कुछ लिखने की इच्छा उदित हुई थी ।
नेमिनाथ के विषय में कुछ जानना आवश्यक है । अपने आदर्श मानें तो हमने कहा जा सकता है ।
कुछ कहना हो तो कृष्ण के विषय में भी नेमिनाथ और कृष्ण इन दोनों को हम संपूर्ण आर्य संस्कृति को समझा है ऐसा
उन दोनों का जन्म यदुकुल में हुआ था । नेमिनाथ का जन्म आज से छियासी हजार वर्ष पहले हुआ था ऐसी जैन परंपरा है । ब्राह्मण-परंपरा के अनुसार कृष्ण का जन्म पाँच हजार वर्ष पहले हुआ था । यदि नेमिनाथ और कृष्ण दोनों चचेरे भाई थे तो उक्त जैन- परम्परा की मान्यता में भूल है ऐसा मानना पड़ेगा । मेरे मन से नेमिनाथ छियासी हजार वर्ष पूर्व नहीं किन्तु पार्श्वनाथ से कुछ पहले हुए हैं । अतएव समय के विषय में जैन- परम्परा को बहुत तूल नहीं देना चाहिए ।
यदुवंश की उन्नति मथुरा के आसपास हुई है । वसुदेव के पुत्र कृष्ण और वसुदेव के भाई समुद्रविजय के पुत्र नेमिनाथ हैं। जैनपरम्परा में नेमिनाथ के वर्णन में कृष्ण का भी बहुत वर्णन
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