Book Title: Char Tirthankar
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 130
________________ भगवान् पार्श्वनाथ की विरासत [ एक ऐतिहासिक अध्ययन ] वर्तमान जैनपरंपरा भगवान् महावीर की विरासत है । उनके आचार-विचार की छाप इसमें अनेक रूप से प्रकट होती है, इस बारे में तो किसी ऐतिहासिक को सन्देह था ही नहीं । पर महावीर की आचार-विचार की परम्परा उनकी निजी निर्मित है - जैसे कि बौद्धपरंपरा तथागत बुद्ध की निजी निर्मित है - या वह पूर्ववर्ती किसी तपस्वी की परंपरागत विरासत है ? इस विषय में पाश्चात्य ऐतिहासिक बुद्धि चुप न थी । जैन परंपरा के लिए श्रद्धा के कारण जो बात असन्दिग्ध थी उसके के विषय में वैज्ञानिक दृष्टि से एवं ऐतिहासिक दृष्टि से विचार करनेवाले तटस्थ पाश्चात्य विद्वानों ने सन्देह प्रकट किया कि, पार्श्वनाथ आदि पूर्ववर्ती तीर्थंकरों के अस्तित्व में क्या कोई ऐतिहासिक प्रमाण है ? इस प्रश्न का माकूल जवाब तो देना चाहिए था जैन विद्वानों को, पर वे वैसा कर न सके । आखिर डा० याकोबी जैसे पाश्चात्य ऐतिहासिक ही आगे आये और उन्होंने ऐतिहासिक दृष्टि से छानबीन करके अकाट्य प्रमाणों के आधार पर बतलाया कि, कम से कम पार्श्वनाथ तो ऐतिहासिक हैं ही । इस विषय में याकोबी महाशय ने जो प्रमाण १. डा० याकोबी : “That Parsva was a historical person, is. now admitted by all as very probable." Jain Education International -. Sacred Books of the East, Vol. XLV, Introduction, pp. XXI-XXXIII For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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