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७६ : धर्मवीर महावीर और कर्मवीर कृष्ण]
ही नृसिंह रूप में घटाने की मनोरंजक कल्पना की है और लोक में कृष्ण और बलभद्र की सार्वजनिक पूजा कैसे हुई, इसकी युक्ति कृष्ण ने नरक में रहतेरहते बलभद्र को बताई, ऐसा अति सांप्रदायिक और काल्पनिक वर्णन किया है।
-हरिवंशपुराण, सर्ग ३५,
श्लो० १-५५, पृ० ६१८-६२५ (६) द्रौपदी पांच पांडवों की (६) श्वेताम्बरों के अनुसार पत्नी है और कृष्ण पांडवों के द्रौपदी के पाँच पति हैं (ज्ञाता परम सखा हैं। द्रौपदी कृष्ण- १६वां अध्ययन) किन्तु जिनसेन भक्त है और कृष्ण स्वयं पूर्णा- ने अर्जुन को हो द्रौपदी का पति वतार हैं।
बताया है और उसे एक पति-महाभारत __ वाली ही चित्रित किया है
(हरिवंश, सर्ग ५४, श्लो० १२२५), द्रौपदी तथा सभी पांडव जैनदीक्षा लेते हैं। कोई मोक्ष और कोई स्वर्ग जाते हैं। सिर्फ कृष्ण कर्मोदय के कारण जैनदीक्षा नहीं ले सकते फिर भी बाइसवें तीर्थंकर अरिष्टनेमिके अनन्य उपासक बनकर भावी तीर्थङ्कर पद की योग्यता प्राप्त करते हैं।
-हरिवंश, सर्ग ६५, श्लो० १६ पृ० ६१६-६२०
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