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भारतीय आचार-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन
28. इसके अर्थ के सम्बन्ध में आचार्यों में मतभेद है। 29. सागारधर्मामृत, अध्याय 1 30.दशवैकालिक 8/35 31. उपासकदशांग, 1/12 32. तत्त्वार्थसूत्र 7/2 33. श्वेताम्बर-परम्परा का आधार -
1. उपासकदशांग, 2. योगशास्त्र, 3. प्रतिक्रमणसूत्र 34. दिगम्बर-परम्परा का आधार - 1. चारित्रपाहुड - कुन्दकुन्द 35. तत्त्वार्थसूत्र 7/16 36. उपासकदशांग, 1-13 37. योगशास्त्र, 2/21 38. भगवतीसूत्र, शतक 7, 30 39. उपासकदशांग, 1/41 40. उपासकदशांग 1/14 41. श्रावकप्रतिक्रमण, दूसरा अणुव्रत 42. योगशास्त्र 254-55 43. जैनधर्म, पृ. 187 44. उपासकदशांग 1/42 45. उपासकदशांगवृत्ति, 1/42 46. उपासकदशांग 1/43 47. उपासकदशांग 1/44 48. सुत्तनिपात, 26/21 49. धम्मपद, 309-310 50. उपासकदशांग, 1/45 51. उपासकदशांग 1/46 52. टिप्पणी-उपभोग और परिभोग के उपर्युक्त अर्थ भगवतीसूत्र, शतक 7 उद्देशक 2 में
तथा हरिभद्रीयावश्यक अ. 6 सू. 7 में हैं, लेकिन उपासकदशांगसूत्र की टीका में अभयदेव ने उपर्युक्त अर्थ के साथ-साथ इसका विपरीत अर्थ भी दिया है।
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