Book Title: Bharatiya Achar Darshan Part 02
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 568
________________ डॉ. सागरमल जैन जन्म - शाजापुर, 22 फरवरी 1932 (माघ पूर्णिमा वि.स. 1988) शिक्षण जैन सिद्धांत विशारद, व्यापार विशारद, साहित्य रत्न, एम.ए. (दर्शनशास्त्र) पीएच.डी. (जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन) अकादमीय पद - व्याख्यातादर्शनशास्त्र 1964-68 सहायकप्राध्यापक प्राध्यापक निदेशक मानद निदेशक संस्थापक निदेशक ग्रन्थलेखन सम्पादित ग्रन्थ शोध आलेख पी.एच.डी.मार्गदर्शन सम्मान - दर्शनशास्त्र 1968-85 - दर्शनशास्त्र 1985-89 - पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणासी 1979-97 - आगम अहिंसा प्राकृत संस्थान उदयपुर (राजस्थान) - प्राच्य विद्यापीठशाजापुरम.प्र. - 40 प्रमुख ग्रन्थ -165 -250 - 37 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणासी, उ.प्र., 01 जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर म.प्र., 03 विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैनम.प्र., 16 जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) प्रदीप कुमार रामपुरिया सम्मान (1988, 1999), स्वामी प्रवणानन्द पुरस्कार (1987) डिप्डीमल पुरस्कार 1992, आचार्य हस्ती पुरस्कार 2004, जैन विद्यावारिधि पुरस्कार 2005, कलामर्मज्ञ पुरस्कार 2006, गौतमगणधर पुरस्कार (प्राकृत भारती जयपुर) 2007, जैना (अमेरिका) का प्रेसिडेंशियल अवार्ड 2007, आचार्य तुलसी प्राकृत पुरस्कार (2008) - शिकागों, ह्यूस्टन, न्युजर्सी, नार्थकेरोलिना, वाशिंगटन, सेनफ्रान्सिस्को, लासऍजिल्स, फिनिक्स, सेन्टलुईस, पिट्सबर्ग, डलॉस, न्यूयार्क (यू.एस.ए.), टोरंटो (कनाडा), लंदन (यू.के.) असेम्बली ऑफ वर्ल्ड रिलिजन्स 1985 में एवं पार्लियामेंट ऑफ वर्ल्ड रिलिजन्स शिकागो 1993 में जैन धर्म के प्रतिनिधिवक्ता के रूप में भाग लिया, इसके अतिरिक्त देश के एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान। विदेशयात्रा प्रतिनिधित्व मुद्रक :आकृति आफसेट उज्जैन फोन : 0734-2561720, 98276-7780, 98272-42489,96300-777780 Jaii Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 566 567 568