Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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amrapमर
(XIII)
समर्पण
बन्मबत माता सुश्री धनदेवी (स्व. वि. सं. १९६१) .
२.
जीवनबत नानीमा सुश्री अच्छरादेवी
- (स्व. वि. सं. १९६६) जिसने मुझ ९ दिन के मातृविहीन शिशु को अपने स्तन (पय) पान से. पालन-पोषण किया
बीवनसंगिनी आदर्श धर्मपत्नी सुश्री कलावती रानी
(स्व.वि. सं. २०२३)
(जिसने लग्नप्रथि से बद्ध होकर मेरी और परिवार की अथक-अनन्य
सेवा-सुश्रूषा-भक्ति की कृतज्ञ भाव से इन तीनो स्वर्गवासी-महिलारत्नों की पुण्यस्मृति में यह
ग्रंथरत्न श्री जिनशासन को समर्पित करता हूं।
- हीरालाल दुग्गड़