Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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भान मान्यताओं की समीक्षा साथ में अपने गणतंत्र राज्य की रक्षा के लिये १२ वर्षों तक कंटकशिला महाप्रलयंकारी युद्ध किया। इस से स्पष्ट है कि चेटक उम-नवों का नेता नहीं था। उसकी काउंसल उमरावों की नहीं थी। वह १८ मुकटबद्ध राजाओं की थी। उस काउंसल का प्रधान चेटक था। अतः वह राजाओं का भी राजा-महाराजा था। और वह व्रतधारी दृढ़ जैनधर्मी परमार्हत जैनश्रावक था। इसका विशेष विवरण हम वैशाली के परिशिष्ट में करेंगे। ___ राजा सिद्धार्थ किसी भी गणतंत्र राज्य में शामिल नहीं था. बल एक स्वतंत्र सत्ताधारी राजा था और उस की राजधानी मगध जनपद में कंडपुर महानगर थी। वह उमराव नहीं था परन्तु समृद्धिशाली राज्य का स्वामी था और इसका सारा परिवार चुस्त दृढ़ जैनधर्मी था। जब राजा सिद्धार्थ के यहां भगवान महावीर का जन्म हुआ तब उसने बन्धीखानों (जेलों) से कैदियों को मुक्त कर दिया था। कल्पसत्र में कहा है कि धन, धान्य, गज्य, रथ, सेना, वाहन, कोष, कोठार, नगर, अन्तःपर तथा यश आदि से उत्तरोत्तर वृद्धि होने लगी। 57 स्वर्ण, प्रीति, मत्कार धीरे-धीरे बढ़ने लगें तथा सामंत और राजा वश में होने लगे। ___ भगवान महावीर ने दीक्षा लेने से एक वर्ष पहले गृहस्थावस्था में दान देना शरू किया। पूरे वर्ष में उन्हीं ने तीन अरब अट्ठासी करोड़ अस्सी लाख (३८८०००००००)मोनैयों (सोने के सिक्कों) के मूल्य की सब वस्तुओं को दान में दिया।
यदि सिद्धार्थ साधारण उमराव या सरदार होता या एक मुहल्ले का नेता होता तो न उसके जेलखाने होते, न सेना होती और न उसके राजदरबारी होते। न इतनी ऋद्धि-समृद्धि होती तथा न इतने ठाठ-बाठ से भगवान का जन्म महोत्सव मनाया जाता और न महावीर इतनी धनराशि से वर्षीदान कर पाते। अत उपर्यक्त विवरण से मानना पड़ता है कि सिद्धार्थ एक बड़े समृद्ध-राज्य के एक्सत्ताक म्वामी शक्तिशाली राजा थे।
अब हम इस बात का भी स्पष्टीकरण करेंगे कि राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला केलिये शास्त्र में अधिकतर क्षत्रिय क्षत्रियाणी शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है, राजा-रानी का प्रयोग क्यों नहीं किया गया? इस का सुलासा यह है कि आवश्यक नियक्ति की टीका में कहा है कि महावीर आदि पांच तीर्थंकरों ने गजक्ल में, विशद्ध वंश में, और क्षत्रियकल में जन्म लिया। कई राजा क्षत्रिय क्ल मे जन्म नहीं लेते- जैसे नन्द राजा का जन्म आदि। इसलिये यहां भपियक्ल और राजक्ल भी कहा है।