Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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भारतीयों की प्रांत मान्यता अर्थात्- जिनकी माता विशाला है, जिनका कल विशाल है, जिन के प्रवचन विशाल हैं, इसलिये वे (भगवान) महावीर वैशालिक जिन हैं।
(२) विसालिम सावयंति- विशाला महावीरजननी तम्या अपमिति. वैशालीको भगवान् तस्य वचनं श्रृणोति तद्रमिकल्पादित वैशालिक श्रावक (भगवतीमत्र अभयदेव मृरि कृत टीका भाग १ श. ३ उ. १)
अर्थात- विशाला (विशाली पत्री)- भगवान महावीर की माता त्रिशला रानी थी इलिये भगवान वैशालिक नाम में प्रसिद्ध हए, उनके रमपणं प्रवचन (उपदेश) को जो मनता है। वह वैशालिक श्रावक है।
(३) यहा श्लोक नं. १ के उत्तगध्ययन की र्णि मे निम्न अर्थ किये हैं
१ उन के गण विशाल थे, २. वे ईक्ष्वाककल में उत्पन्न हा थे, ३. उनकी माता वैशाला थी, 6. उनका कल और ५ प्रवचन विशाल थे। उपर्यक्त दोनों मदों में वैसालीये शब्द से भगवान महावीर के जन्मस्थान वैशाली का कोई मंकन नहीं है।
पहले में भगवान की माता, कल और प्रवचन को विशाल बतला कर भगवान को वैशालिक जिन कहा है।
दमर में वेशालिक श्रावकों का लक्षण बतलान हा कहा है कि विशाला माना क पत्र हाने के कारण भगवान महावीर वैशालिक कहा ये एवं उनके रमपणं प्रवचन मन कर जो उनके सिद्धान्तों को स्वीकार करता है और उनका अनयायी बनता है वह वैशालिक श्रावक है।
इमम भगवान महावीर के श्रावकों को जो वैशालिक होना कहा है वह वैशाली नगर की अपेक्षा में नहीं परन्त उनके प्रवचन की अपेक्षा में कहा है। आचार्य श्री एव पन्याम जी न वैशाली शब्द में भगवान का नाम पड़ने का कारण वैशाली नगर में जन्म होना मानकर उनका जन्मस्थान वैशाली माना है और अपने इस मत की पष्टि के लिय आचार्य श्री यह भी कहते है कि यहां कल का तात्पयं जनपद ही है। इसकी पष्टि के लिये अमरकोष का प्रमाण देते हैं। परन्त ध्यानीय है कि वे यहा अमरकोश का वह पाट ही नहीं दे मके। 4 प्राकनकोश- पाइम-मट्ट-माहण्णवो प. ३९.१ मे कल शब्द के अर्थ "पतकवंश, गोत्र, जाति किये हैं। अन. आप भगवान महावीर का जन्मस्थान विदह वैश् ली को मिद्ध करने में एकदम असफल रहे हैं।