Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 186
________________ क्षत्रियकंड १५१ राज्य प्रणालियां उस काल में दो प्रकार की राज्य प्रणालियां थीं। १. गणतंत्र राज्यप्रणाली २. एक राज्य की स्वतंत्र एक सत्ताक राज्यप्रणाली। महाराजा चेटक के बहनोई और छः दामाद (ये सातों) एक अपने-अपने राज्यों के एक सत्ताक राजा थे। एक सत्ताक राज्य की व्यवस्था वहां का राजा अपनी इच्छा के अनुसार स्वयं करता था। ये सब राजा भगवान महावीर के अनुयायी दृढ़ जैनधर्मी थे। ___ ध्यानीय है कि चेटक की छोटी पुत्री चेलना के साथ विवाह करने केलिए राजगही के राजा श्रेणिक बिंबिसार ने स्वयं मांगा था। पर चेटक ने यह कहकर उसे मना कर दिया था कि "तुम शिशु नागवंशी हर्षकल के वाहिकवासी हो इसलिए मेरी पुत्री का रिश्ता तुमसे नहीं हो सकता"। परन्तु वेलना ने श्रेणिक से स्वयं विवाह कर लिया था।।। हम लिख आए हैं कि राजा चेटक ऊंचे राजन्यकुल के क्षत्रिय थे इसीलिए उन्होने श्रेणिक के साथ चेलना का विवाह करने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह हीनकल का था। यह भी स्पष्ट है कि पोष जंवाई उनके समान उच्चकल के थे और समृद्धिशाली भी थे। हम पहले इन के बहनोई राजा सिद्धार्थ की समद्धिशालीनता का उल्लेख कर आए हैं। अब हम सबसे बड़े जंवाई उदायन के राज्य विस्तार, जैनधर्म में दृढ़ता और उसकी समृद्धशालीनता का उल्लेख करते हैं सिंध-सौवीर का राजा उदायन भगवान महावीर के समकालीन सिंधु-सौवीर जनपद नरेश महाप्रतापी यथाख्यात नामा राजा उदायन वैशाली के महाराजा चेटक के सबसे बड़े जंवाई थे। जो राजकुमारी प्रभावती के पति थे। इनकी राजधानी सिन्धनदी के तटवर्ती वीतभयपत्तन नगरी थी। इनके अधीन ३६३ नगर ६८५० ग्राम अनेक खाने और १६ देशों के राजा थे। उदायन की आज्ञा से महासेन (उज्जैननरेश चंद्र-प्रद्यौत) आदि १० महापराक्रमी मुकुटबद्ध राजा रहते थे। महारानी प्रभावती के महल में देवताप्रदत्त गोशीर्षचन्दन काष्ट की भगवान महावीर की जीवितस्वामी की कंडलमुकुट आदि अंलकारों से अलंकृत अत्यंत सन्दर महाचमत्कारी प्रभावित प्रतिमा पर चैत्यालय में विराजमान थी। राजा-रानी प्रतिदिन इसकी पूजा करते थे। राजा धर्मपरायण, प्रजावत्सल और महा सूर-बीर था। इसकी सूरवीरता के कारण शत्रु राजा इसके देश पर आक्रमण करने का साहस नहीं करते थे। इसलिए न तो स्वचक्र-परचक्र का भय था और

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