Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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जन्मस्थान के मार्ग
१३४ जन्मस्थान जाने के मार्ग १. जन्मस्थान जाने का मुख्य मार्ग कुंडघाट से जाता है। जहां उस घाटी में वो मंदिर है। यहां से पर्वत की कठिन चढ़ाई शुरू होती है पांच छोटी, दो बड़ी पहाड़ियों को पार करके जन्मस्थान का मन्दिर मिलता है। पहाड़ियां बनों से बाच्छादित हैं। जन्मस्थान का मंदिर इस पर्वतमाला की आखिरी ढलान की आधित्यका में है।
२. स्थलमार्ग-जांबियागांव (जमई) से खेरा होते हए चौदह मील पहाडी के किनारे से क्षत्रियकुंड जाने का मार्ग है। क्षत्रियकंड की रक्षा केलिए जमुई से पांच किलोमीटर दूर पूर्व-खेरा के पास किले के दो भग्नवशेष हैं। जो २०१ से कम नहीं है। ये दोनों अवशेष इनपेगढ़ नवलखागढ़ के नाम से जाने जाते हैं।
३.तीसरा मार्ग पकरीबराना कौआकोल से होते हुए क्षत्रियकंर जाया जाता है क्षत्रियकुंड की रक्षा केलिए कोआकोल के एक प्राचीन किले का भग्नावशेष है इस सब रास्ते में पुरातत्व के काफी अवशेष हैं।।
४. पूर्व-रेलवे में पटना हावड़ा मुख्य-लाइन पर क्यूल जंक्शन और झाझा रेलवे स्टेशन के बीच जमई रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन से जमई शहर (अनुमंडलीय मुख्यालय) लगभग चार पांच मील दक्षिण में है। स्टेशन से शहर तक जाने के लिए बस, टैम्पो, टैक्सी, तांगा आदि उपलब्ध हैं। पैदल आने के लिए पक्की सड़क है।
५. जमुई स्टेशन से लच्छुआड़ की दूरी लगभग अट्ठारह मील है। जमुई-शहर से सिकन्दरा (अंचल-मुख्यालय) जानेवाली सड़क से तेरह मील चलकर लच्छुआड़ पहुंचा जा सकता है।
६. जमुई-शहर से लगभग ८ मील की दूरी पर महादेव सिमरियाग्राम पहंचते हैं। वहां प्रसिद्ध शिवमंदिर, बाजार तथा धर्मशाला भी हैं।
७. महादेव सिमरिया से सीधे मुख्य सड़क पर आधा मील चलकर धधारे नामक ग्राम के निकट पहुंचते ही बायीं ओर सड़क के किनारे यक्षस्थान (जखराजस्थान) के सामने से एक रास्ता पगम्बर मुबारकपुर नामक ग्राम होते हुए लच्छुआड़ पहुंचता है। यह रास्ता बस, जीप, कार के योग्य है। घधारे के मोड़ से लच्छुआड़ की दूरी लगभग पांच मील है।
८. लच्छुआड़ जैनधर्मशाला से दक्षिण पर्वतश्रेणी तक पहुंच कर जन्मस्थान के दर्शनार्थ पहाड़ों के पार तक की चढ़ाई पैदल की जा सकती है। वहां डोली की सवारी भी मिलती है। अथवा जीप से भी पहाड़ों के पार तक की