Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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शनिमकुड
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(१) भारतवर्ष के मध्यखंड में २५ | | ( साढ़े पन्चीस) आर्यदेश (जनपद) हैं- जहां तीर्थंकर, चक्रवर्ती, वासुदेव आदि शलाका-पुरुष जन्म लेते हैं, बे आर्यदेश कहे जाते हैं। तीर्थकर, श्रमण श्रमणियां प्रायः इन्हीं क्षेत्रों में विहार ( आते जाते और निवास करते हैं) इसलिए तीर्थकरों की विहार-भूमियां, कल्याणक - भूमियां इन्हीं जनपदों में हैं। क्षत्रियकुंडनगर मगध जनपद में और वैशाली विदेह जनपद में हैं। ये दोनों आर्यदेश में हैं। यथा
आर्यदेश नामावलि० 2
आर्यदेश राजधानी
१०. जांगल अहिछत्रा
११. वत्स कौशाम्बी तालिप्त १२. सौराष्ट्र द्वारवती काचनपुर १३. विदेह मिथिला वाराणसी १४. मलय १५. मत्स्य वेराट
भद्दिलपुर
साकेत
७. कुरु
हस्तिनापुर १६ शांडिल्य नन्दीपुर
८ कुशात
शौरीपुर
१७. अस्त्य वारुणी
९. पाचाल कांपिल्य
बौद्धग्रंथों में १६ जनपद मध्यदेश में होना लिखा है। यथा - १. काशी. २. कौशल, ३. अंग ४. मगध ५. वज्जि, ६ चैतीय (चेटी) ७. मल्ल, ८. वंश (वत्स), ९. कुरु, १०, पांचाल, ११. मच्छ (मत्स्य) १२. शूरसेन १३. अम्मा ( अश्यक) १४. अवन्ती १५. गांधार १६. कम्बोज ।
आर्यदेश
१. मगध
२ अंग
३. बग
४ कलिंग
५. काशी
६. कोशल
राजधानी
राजगृही
चम्पा
आर्यदेश
राजधानी
१९. बेदी
शुक्तिर्मात
२०. सिधुसौवीर बीतभयपतन
२१. सरसेन
२२. भंगी
२३. वत्तं
२४. कुणाल
२५. गड
२५ । । केकेय
( पंजाब )
१८. दशार्ण मृतिकावती के निकट एक नगर )
मथुरा
पावा
मासपुरी
श्रीवस्ती
कोटिवर्ष
श्वेतांविका
(म्यालकोट)
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जैनशास्त्रों २५।। आर्यदेशों, और बौद्धग्रंथों में १६ जनपदों को भारतवर्ष में मध्यदेश कहा है। यानि ये धर्मक्षेत्र हैं। अंग, मगध और वज्जि (विदेह ) इन तीनों जनपदों को इन दोनों ने धर्मक्षेत्र कहा है।
भगवान महावीर की प्राचीन जन्मभूमि का मान्यता लच्छुआड़ के निकट कुंडग्राम मगध जनपद की है। अर्वाचीन मान्यता वज्जि (विदेह) जनपद की राजधानी वैशाली के एक मोहल्ले की है। ये दोनों मध्यंदेश- आर्यक्षेत्रों में हैं।