Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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क्षत्रियकुंड
आगे चलकर सूत्र ६२ में लिखा है कि राजा सिद्धार्थ श्रेष्ठ कल्पवृक्ष के समान मुकट, अलंकार, छत्र, सफेद चादर बादि से अलंकृत नरेन्द्र थे। प्राचीन साहित्य में क्रेंन्द्र का प्रयोग राजाओं केलिये हुआ है। उस सिद्धार्थ के अधीनस्थ निम्नलिखित अधिकारी थे।
१. गणनायक २. दंडनायक ३. युवराज ४. तलवर ५. माडम्बिक ६. कौटुम्बिक ७. मंत्री ८. महामंत्री ९. गणक १०. दौवारिक ११. अमात्य १२. चेट १३: पीठमर्द्धक १४. नागर १५. निगम १६. श्रेष्ठि १७. सेनापति १८. सार्थवाह १९. दूत २० संधिपाल
यदि सिद्धार्थ केवल उमराव होते तो उस के लिये श्रेष्ठि शब्द का प्रयोग होता न कि नरेंद्र अथवा राजा का।
क्षत्रिय शब्द का अर्थ साधारण क्षत्रिय के अतिरिक्त राजा भी होता है। ऐसा अभिधान - चिंतामणि कोश में कहा है। अतः सिद्ध है कि क्षत्रिय आदि शब्दों का प्रयोग राजा के लिये भी होता है। प्रवचनसारोद्धार सटीक 55 में भी क्षत्रिय शब्द का प्रयोग महासेन राजा केलिये हुआ है। इसपर टीकाकार ने लिखा है कि चंद्रप्रभस्य महासेन क्षत्रिय राजा ।' स्पष्ट है कि प्राचीन परम्परा में राजा के स्थान पर ग्रंथकार क्षत्रिय शब्द का भी प्रयोग करते थे। हमारे इस मत की पुष्टि टाइम्स इन ऐंशेट इंडिया में डा. विमलचरण ला ने भी की है
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"पूर्वमीमांसा सूत्र द्वितीय भाग टीका में शंकरस्वामी ने लिखा है कि राजा तथा क्षत्रिय शब्द समानार्थक हैं। टीकाकार के समय में भी आंध्रप्रदेश के लोग क्षत्रिय शब्द का राजा केलिये प्रयोग करते थे।
निरियावलिआओ सूत्र ६ (पृ. २७) के अनुसार- वाज्जिगणतंत्र का ध्यक्ष महाराजा चेटक था । उन की सहायता के लिये संघ में से नौ लिच्छिवियों और नौ मल्लों को गणतंत्र का शासन चलाने के लिये चुन लिया जाता था। वे स्व-गण राजा कहलाते थे। बौद्ध जातकों के अनुसार इस गणसंघ के ७७०७ सदस्य थे जो राजा कहलाते थे । उन प्रत्येक के अधीन एक उपराजा, मेनापति, भांडागारिक ( स्टोरकीपर संग्रहकार) भी थे । 56
चेटक के गणराज्य की काउंसिल नौ लिच्छवियों और नौ मल्लां (१८ ) गणराजाओं की थी। इन प्रत्येक गणराजा की अपनी-अपनी चतुरंगनी मना थी। जो महाराजा चेटक की सेना के बराबर थी। जब अजातशत्र (कणिक) ने वैशाली पर आक्रमण किया तब यहा के बज्बी गणराज्य के शासक चेटक ने अपनी काउंसल के १८ गणराजाओं की सामूहिक सेनाओं और अपनी सेना को