Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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अंत मान्यताओं की समीक्षा में हैं। आज भी एक नाम के नगर, गांव आदि अलग अलग जनपदों में विद्यमान पाये जाते हैं। (क) जैसे कि कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है और हिमाचल प्रदेश में भी श्रीनगर नाम का एक नगर है। ये दोनों हिमालय पर्वत पर हैं। (ख) गुजरात जनपद में कालोल के निकट बीजापुर नगर है और महाराष्ट्र में भी बीजापुर एक नगर है (ग) मध्यप्रदेशो में नागपुर नगर है और उत्तरप्रदेश में हस्तिनापुर का एक प्राचीन नाम नागपुर था। (घ) गुजरात एक जनपद है और पंजाब (पाकिस्तान) में गुजरात नाम का नगर है। (इ) पंजाब (पाकिस्तान) में लाहौर के निकट शाहदरा नाम का नगर है और दिल्ली का एक उपनगर भी शाहदरा है इसलिये समझदारी यही है कि एक नाम के नगरों में किसी एक की अवस्थिति का भौगोलिक, ऐतिहासिक परिधि के अनुसार ही निर्णय किया जावे तभी सत्य को जानना संभव है।
४. डा. हार्नले ने कोल्लाग के निकट एक दुइपलासचैत्य उद्यान बतलाया है और उसपर णायकल (जातकल) का अधिकार बतलाया है। डा. महोदय के विचार से मगधजनपद में गायवंबखंड उजाण और दुइपलासचैत्यउज्ज़ाण एक ही है। डा. महोदय ने जैनगंच के प्रमाण दिये हैं। उन ग्रंथ के अनुसार दुइपलासउबाप तो विदेह बवान बषियनाम के उत्तर में था और णामखंडवणउजाण मगध जनपद में लच्छवाड़ के क्षत्रियकंड नगर के बाहिर था। इसलिये दोनों एक नहीं हो सकते। विपाकसूत्र में विदेह जनपद में वाणिज्यग्राम की उत्तर-पश्चिम दिशा में दूहपलासचैत्य नाम का उद्यान था
और कल्पसूत्र की सुबोधिका टीका में वर्णन है कि "भगवान महावीर कुंडपुर (क्षत्रियकुंड) के मध्य में होते हुए (दीक्षा लेने के लिये) निकले और निकलकर नातखंड उद्यान में श्रेष्ठ बशोकवृक्ष के पास गए। इन दोनों उद्धरणों से स्पष्ट है कि उपर्युक्त दोनों उद्यान भिन्न-भिन्न थे। एक विदेह में और दूसरा मगध में।
५. डा. हानले बौर ब.बैकोबी ये दोनों ही सिद्धार्थ को राजा न मानकर एक सामान्य उमराव सरदार मानते हैं। उन का विचार है कि दो एक स्थानों के सिवाय-ग्रंथों में सिद्धार्थ के साथ क्षत्रिय शब्द का ही प्रयोग किया गया है परन्तु . उसके विपरीत जैनग्रंथों में न केवल सिद्धार्थ को राजा ही कहा गया है परन्तु उसके अधीनस्थ सेना के २० प्रकार के अन्य कर्मचारियों का उल्लेख भी किया गया है। कल्पसूत्र में लिखा है कि १.सिखत्वेष रायो। 2 अर्थात् सिद्धार्थ राजा। २. तेएम से सिरत्वे वापिसमातियापीए अर्थात्- वह सिद्धार्थ राजा और त्रिशला क्षत्रियानी इन दोनों उद्धरणों में सिद्धार्थ को राजा बतलाया है।