Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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६४ . दिगम्बर की जन्माधान की मान्यता (४)दिगम्बर गणभद्र कृत उत्तरपुराण में कहा है कि- "इमी भरतक्षेत्र के विदेह नाम के देश में कंडपर के राजा के भवन में वमधारा की वृष्टि हई। 40
उपर्युक्त नं. क में कंडलपुर नगर को महाविदेह में कहा है। किन्त यहां न तो भारतवर्ष के विदेह जनपद का संकेत है और न ही भगवान महावीर की जन्म म कंडपर का ही उल्लेख है। यहां तो मात्र कंडलपर को महाविदेह क्षेत्र में कहा है जो कि जैनभगोल के अनसार १५ कर्ममियां मानी हैं। ५ भरत, ५. ऐरावत और ५. महाविदेह जो कि (एक महाविदेह, एक भरत और एक ऐरावत जम्बूद्वीप में हैं। ये तीनों दो-दो घातकीखंडद्वीप में हैं और ये तीनों दो-दो आधा पष्कग्वरद्वीप में है। भगवान महावीर का जन्म जम्बद्वीप के भग्नक्षेत्र में हआ था। परन्त महाविदह भग्तक्षेत्र के भारत में नहीं हआ था। जम्बद्वीप में जो महाविदेह है वह भरतक्षेत्र के भारत में नहीं है। वह जम्बद्वीप के मध्य में है और वह भरतक्षेत्र में बहत दर विद्यमान है। जो इस भग्तक्षेत्र की पदिशा में है। न कि दक्षिर्णादशा मे। र्याद इस महाविदेह में कोई कंडपर अथवा कंडलपर है तो वह भगवान महावीर का जन्मस्थान नहीं हो सकता। अतः यह लेखक की कोर्ग कल्पना मात्र है। श्वेताम्बर-दिगम्बर दोनों की मान्यता है कि पांची महाविदहों में वर्तमानकाल में कल मिलाकर बीम नीर्थकर विद्यमान हैं। जर्वाक भरतक्षेत्र में वर्तमान में एक भी तीर्थकर नहीं है। अतः इस प्रमाण मे वैशाली को भगवान महावीर का जन्मस्थान मान लेना एकदम अचिन है। श्वेताम्बर-दिगम्बर दोनों के साहित्य में महाविदह कलिये विदेह शब्द का भी प्रयोग पाया जाता है। दिगम्बर माहित्य में उन पाचों महाविदहों में विद्यमान वीम नीथंकरों की मम्कृत भाषा में गचत पजाओं में विदेह शब्द का प्रयोग महाविदेह केलिये हआ है जिसका अर्थ है१- जम्बद्वीप, घानकीखण्डद्वीप पाकगद्वंद्वीप में पांच विदेह हैं। प्रत्येक विदेह में चार-चार तीर्थकर विद्यमान है। उन प्रत्येक तीर्थकर की मैं पजा करना हो।
: मैं मीमंधर जिनेन्द्र को नमस्कार करता हूं। द:ख का दमन करने वाले यगधर म्वामी को नमस्कार करता है। वाह और सबाह म्वामी को नमस्कार करता है। चागें नीर्थंकर जम्वद्वीप के विदेह में विद्यमान है (और मोक्ष निर्वाण प्राप्त करेंगे।
यहां पांचों विदेहों के वीम तथा जम्बूद्वीप के विवेह के ममिंधर आदि चार तीर्थकर इस समय जो विद्यमान हैं उन की पूजा में महाविदेह के स्थान पर विदेह शब्द का प्रयोग किया है।