Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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राजकुमार वर्धमान अपने वालमित्रों केसाथ पर्वतपर खेलते हैं। वहां आंवले के वृक्ष के निकट खेलतेहुए एक देव कुमार को डराने केलिए आया अनेक रूप धारण किए। अंतमें महाभयंकर सर्प का रूप धारण करके कुमारको विचलित करने का प्रयास किया। पर कुमारने उसे पकड़ कर दूर फेंक दिया। हार खाकर देव भागगया इस खेलको आगम मे आमलकी क्रीड़ा कहा है।