Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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शोधकर्ताओं की स्खलनाओं पर विचारमा ३. क्षत्रियकुंड महानगर नहीं था। वह सार्थवाहों अथवा यात्रियों का विश्राम
स्थान था ।
४. जांतिक ज्ञातक्षत्रिय थे।
५. भगवान महावीर की जन्मभूमि और पितृभूमि विदेह की राजधानी वैशाली थी और वे यहीं के निवासी थे। दीक्षा लेने से पहले जीवन के तीस वर्ष यही गुजारे थे ।
६. भगवान महावीर का पिता सिद्धार्थ राजा नहीं था मात्र क्षत्रिय उमराव था । ७. त्रिशला रानी नहीं थी । मात्र साधारण क्षत्रिय उमराव सिद्धार्थ की पत्नी थी। ८. चेटक वैशाली का राजा नहीं था वह उमरावमंडल का नेता था। (प्रायः यही मान्यताएं डा. हार्नल एवं जैकोबी की भी हैं)
उपर्युक्त शोधकर्ताओं की स्खलनाओं पर विचारणा
किसी भी सत्य शोध-खोज के लिये १. साहित्य (Literary). २. भृतत्व- विद्या (Geoligical). ३. भूगोल (Geographical ) ४. पुरातत्व (Archaeological) ५. भाषाशास्त्र (Linguitic ) ६. इतिहासिक (Historical), ७. तर्क (Logical) ८ तथा नीर्थ यात्रियों (Pilgrims ) के प्रमाणों एवं तथ्यों की परमावश्यकता है। अतः हम यहां पर इन उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रख कर प्रमाणिकता पर पहुंचने का प्रयास करेंगे।
१. साहित्यिक ( LITERARY ) प्रमाण
मुख्यतः अर्द्धमागधी भाषा के प्राचीन जैनागम आचारांग, भगवती सूत्र, सुत्रकृतांग, कल्पसूत्र आदि भगवान महावीर की वाणी जो उन के मुख्य शिष्यों - गणों ने प्रत्यक्ष सुन कर संकलित कर आगमरूप में गुंथन की है, उन में जो लेख उपलब्ध हैं उनमें सत्य प्रमाण मिलते हैं।
किन्तु दुःख की बात है कि वर्तमान में सर्वप्रथम पाश्चिमात्य डा. हमणजेकोबी आदि इतिहास वेत्ताओं ने तत्पश्चात् उन का मान्यताओं को विना परीक्षण किये अनेक भारतीय जैन जैनेत्तर विद्वानों ने भी उनका अनुकरण करके भ्रमात्मक बातें स्वीकार कर ली हैं और उन्हीं के आधार पर भगवान महावीर के