Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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त्रियकड
(३) सिद्धार्थ ज्ञात-क्षत्रियों का सरदार था। राजा नहीं था।
४. पन्यास कल्याणविजय जी की धारणा है कि
(१) भगवान महावीर का जन्म वैशाली के बसाढ़ नामक मुहल्ले में हुआ था।
(२) ब्राह्मणकुंड और क्षत्रियकंड वैशाली के दो मुहल्ले थे।
(३) श्वेताम्बी से राजगृही आते हुए भगवान गंगानदी को पार करके आए थे इसलिए वैशाली का एक मुहल्ला ही सच्चा क्षत्रियकंड नगर है और यही भगवान का जन्मस्थान है।
५. आचार्य विजेन्द्र सूरि की धारणा है कि
(१) वासुकंड अथवा आंतिक अथवा वैशाली और कोटिग्राम के बीच में कोई स्थान क्षत्रियकंड है। जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था।
(२) वामकंड को वैशाली का महल्ला माना है। (१) उपर्युक्त तालिका से यह स्पष्ट है कि जन्मस्थान केलिए सब की
अपनी-अपनी अलग-अलग धारणाएं है। यथा- १. प्राचीन जैनागम और श्वेताम्बर जैन परम्परा मगध जनपद में लच्छआड के निकट क्षत्रियकंड को जन्मस्थान मानता है
२. दिगम्बर सम्प्रदाय मगध जनपद में कंडलपुर को मानता है। ३ डा. हमनजैकोबी विदेह जनपद मे कोटिग्राम को जन्मस्थान मानता है। ४. डा. हानले विदेह वैशाली के एक महल्ले कोल्लाग को मानता है। ५. पन्याम कल्याण विजय वसाद (वैशाली के एक महल्ले) को मानते हैं।
६.वैशाली के एक महल्ले वासकंड अथवा प्रांतिक अथवा वैशाली और कोटिग्राम के बीच का कोई स्थान क्षत्रियकंड मानने हैं। इनकी कोई एक निश्चित धारणा नहीं है।
अन्य धारणायें इन शोधकों की २. ज्ञातबनखंड और दतिपलामवणखंडचैत्य दोनों एक ही उद्यान था और वह वैशाली में था- (हानले) ...