Book Title: Bhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 15
________________ (XII) नविताना परतावर श्री हीरालालची पान मारा रचित मर्ममतापूर्णपरलं की पूरी १-४ अहंतजीवनज्योति (चारभाग) ५. नवर्तत्व प्रकरण साथ, सविवेचन सचित्र। ६. जीवविचार प्रकरण सार्थ-विवेचत सचित्र ७. जगत और जैनदर्शन। ८. वात्मज्ञान प्रवेशिका तथा जैनतत्व बोध। ९. बंगाल का आदिधर्म और जैन पुगतत्व सामग्री। १०. पंचप्रतिक्रमण सूत्र तथा सप्त स्मरण माथ मविवचन (खतरगच्छ) ११. नवपद ओली तथा अक्षयनिधि तप विधि। १२. जिनदर्शन पूजन विधि। १३. अष्ठिाहिक। (अढाई) व्याख्यान। १४. निग्गंठ गायपुत्त श्रमण भगवान महावीर तथा मामाहार परिहार। १५. वल्लभ काव्य सुधा। १६.१८. वल्लभप्रवचन (तीनभाग) १९. वल्लभ जीवनज्योति। २०. कतिपय जैननीयों का इतिहाम। २१ श्री हस्तिनापर तीर्थ का इतिहाम। (हिन्दी) २२ श्री हस्तिनापुर तीर्थक चैतन्यवंदनादि २३. मडभं मंग्क्षक मनि थी बर्भािवजय (बटेगय) जी का चरित्र २४.२५. नप मधानिधि दो भाग। २६ मध्यशया और पजाव में जैनधम। २७ जैनधर्म तथा जिननिमापजन रहस्य। २८. श्रीपाल चरित्र (आविजय वल्लभ मार के प्रवचन) २९. गजकमार वर्धमान महावीर विवाहित थे। (हिन्दी) ३० गजकमार वर्धमान महावीर विवाहित थे। (गजगी) ३१ भगवान महावीर का जन्मस्थान क्षत्रियकड। १२ मेनार्यान। ३. शकविज्ञान। (दो आनिया) ३४-३५. लोकागच्छ की पट्टानिया २६. चरितावल्ली ३७ प्रश्नपच्छा। (विज्ञान) ३८ म्वाविज्ञान। १९. म्बगंदय विज्ञान। ४०. भद्रबाह महिना। ४१. मंत्र-यंत्र-मंत्र विज्ञान प्रथम भाग। ४२. मंत्र-यंत्र-मंत्र विज्ञान दमग भाग ४३. मम्राट अकबर के धर्मोवश्वाम बीवन. . जिनकल्प और विरकल्प। 'गजनीति पर जैनधर्म का प्रभाव। ४८. दिवम्बगें के चानीम प्रश्नों का समाधान। ४४. जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर। ४९. पंजाब के उत्तरार्ध लोकागच्छ की पट्टावलियां। ४५. बैनसमाज ममय को पहचाने। ५०. मेख संग्रहा ४६. पंजाब को ओमवालों का भावड़ा क्यों कहते हैं। ५१. भगवान महावीर।

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