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एक ललित अभिमत
परम श्रद्धेय श्री मनोहर मुनि जी 'कुमुद' इससे पूर्व भगवान महावीर के मनोहर उपदेशों का संग्रह तथा अर्थ प्रस्तुत कर चुके हैं । आपका गद्य भी अपनी काव्यमय, सरस एवं हृदयस्पर्शी शैली के कारण पद्य का प्रभाव रखता है। जब गद्य का ही ऐसा प्रभाव है, तव पद्य का तो कहना ही क्या ?
इस ग्रन्थ में आपके सन्त रूप के साथ साथ कविरूप को देखकर पाठक प्रसन्नता और धन्यता का अनुभव करता है। उपदेश के वचनामृत कविता के माध्यम को अपनाकर विशेष प्रभावोत्पादक हो जाते हैं, यह एक निर्विवाद तथ्य और इतिहास-प्रमाणित सत्य है ।
भगवान महावीर के उपदेशों का पाथेय लेकर जीवन पथ पर चलने वाला पथिक सदैव सुखी एवं निश्चिन्त रह सकता है। भगवान महावीर का निर्वाण बहत्तर वर्ष में हुआ था, इसलिए पूज्यवर्य श्री मनोहर मुनि जी 'कुमुद ने इस संग्रह में केवल वहत्तर श्रेष्ठ उपदेशों का चयन हमारे कल्याण के लिए प्रस्तुत किया है।
आपकी शैली की सबसे बड़ी विशेपता है निराडंबरी भापा जिसके कारण इन पद्यात्मक उपदेशों को कण्ठस्थ कर