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१७. गाथा
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हिसे बाले मुसावाई __ माइल्ले पिसणे सढे । भुंजमाणे सुरं मंसं
सेयमेयं ति मन्नइ ॥
उत्त० अ० ५ गा० ९ ।
अर्थ
अज्ञानी मनुष्य हिंसा करता है, झूठ बोलता है, छल कपट करता है । निन्दा-चुगली में रत रहता है। डाठता का व्यवहार करता है और मांस मदिरा का सेवन करता है । यह सब कुछ करता हुआ भी अज्ञान के कारण इसी में अपना हित समझता है ।