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१. वीर किसको है कहा ?
उसकी विजय का रूप क्या ? भोग का यह कीट मानव,
- क्या इसे है समझता ?!
२ जो विजय संग्राम में,
दस लाख सुभटों पर करे, आत्म-विजय को समझ लो,
तुम इस विजय से भी परे ।।
३. आत्म विजेता ही सदा,
मन-इन्द्रियों को जीतता । लोक में परलोक में,
वह सख पाता है सदा ।।
४. जग में विजय होती नहीं,
मन-जगत को जोते विना । * महावीर ने यह सुवचन,
प्रिय शिष्य गौतम से कहा ।।