Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Author(s): Manoharmuni
Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust

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Page 189
________________ १४५. १. भावना - योग से यह मात्मा, गुद्धि को पाता है। इस संसार सागर की, यही नौका फहाता है !! २. फिनारे से लगी नावा, विपद रे. पार जाती है। नहीं तुफान के न भंवर फे, चपकार : में: बातो है । ३. मोक्ष के तौर पर यह. आत्मा मानन्द पाता है । नहीं फिर गुरु प. व दुर यो. पाचन में आता: ॥ ४. पास जितन हो: जाम • मापना में बना । महापौर ने दह मुपसन. Fि frre नतर से पता *

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