Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Author(s): Manoharmuni
Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust

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Page 191
________________ पारिभाषिक तथा कठिन शब्दों के अर्थ निर्जरा-कर्मों का जीव ने अलग हो जाना। अकाम परवगता में बिना इच्छा के निर्जरा । कष्ट सहने से होने वाला कर्मो का धय । दुर्जय=जिसे जीतना कठिन हो । गुमट योधा। देदीप्यमान-प्रकापमान । श्रुतनानगाल्न का मान । असम्बद्ध प्रलापी= विना सिर पर की बातें करने वाला। प्रमाद= विषय, कपाय, निद्रा, मद, तथा विकथा को प्रमाद कहते हैं। कपाय = मोध, मान, कपट तथा लोभ को कपाय पाहते हैं। विकावा--काम-क्रोध तथा मोह को बढ़ाने वाली बातें करना ही विकया है। लोलपी गोगों नया रनों में आगमन व्यगिन । भरप-बन। नार पक्षी : एक माली जिम के कोनन । जानी।

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