Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Author(s): Manoharmuni
Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust

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Page 177
________________ १३३ सोचना चाहिये मनुज फो. एक दिन वह जायगा । यह भवन और खेत, उपवन, Y फाम न कुछ आएगा ॥ २. स्वर्ण चान्दी के विपुल, भण्डार सब रह जायेंगे पुत्र, नारी, माई बान्धव, वाट फर सवं खायेंगे || 2. रह जायेंगे वस, यह तेरा यह शव जलाने के लिए । रह जायेगा तू हो पेला, दुख उठाने के लिए ॥ स्वयं ही नर ! पाव पा I नभरि पर उठा । महावीर ने सुन दिन मे ॥

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