Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh Author(s): Manoharmuni Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust View full book textPage 182
________________ ६९. गाया . सरीरमाहु नावत्ति जोवो वुच्चइ नाविओ। संसारो अण्णवो वुत्तो जं तरंति महेसिणो ॥ उत्त० अ० २३ गा० ७३ अर्थ शरीर को 'नावा' और जीव को नाविक' कहा गया है। इस संसार को समुद्र कहा है। इसे केवल महर्षि पुरुष ही पार कर सकते हैं। .Page Navigation
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