Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Author(s): Manoharmuni
Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust

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Page 184
________________ ७०. गाथा ... . ... तवो जोई जीवो जोइठाणं __ जोगा सुया सरीरं कारिसंग। कम्मेहा संजमजोगसंती होमं हुणामि इसिणं पसत्थं ॥ . उत्तही . उत्त० म० १२ गा० ४४ .... अर्थ ___ तप अग्नि है और यह जीव अग्नि-कुण्ड है । मन वचन तथा काया का योग ही जुव है। यह शरीर कारिपांग-यज्ञ की सामग्री है। कर्म ही ईन्धन है । संयम हो शान्ति पाठ है। जिले ऋषियों ने प्रशस्त कहा है। ऐमे होम से में यज्ञ का अनुष्ठान करता हूँ।

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