Book Title: Bhagavana Mahavira ke Manohar Updesh
Author(s): Manoharmuni
Publisher: Lilam Pranlal Sanghvi Charitable Trust

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Page 181
________________ ( १८ ) १ ? १३७ सन्धि मुख का चोर अपने को छुपा सकता नहीं, दुष्कर्म के परिणाम से निज को बचा सकता नहीं || अज्ञान में पापी नहीं है, को छोड़ता । पाप - पप इस लोक में परलोक में. यह पाप का फल भोगता । इस जीव की मुक्ति नहीं, मोगे बिना फल फर्म का 1 ★ महावीर ने यह सुचन मनसे हा ॥

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