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सन्धि मुख का चोर अपने
को छुपा सकता
नहीं,
दुष्कर्म के परिणाम से निज को बचा सकता नहीं ||
अज्ञान में पापी नहीं है,
को छोड़ता ।
पाप - पप
इस लोक में परलोक में.
यह पाप का फल भोगता ।
इस जीव की मुक्ति नहीं, मोगे बिना फल फर्म का 1
★ महावीर ने यह सुचन मनसे हा ॥