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सोचना चाहिये मनुज फो. एक दिन वह जायगा ।
यह भवन और खेत, उपवन,
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फाम न कुछ आएगा ॥
२. स्वर्ण चान्दी के विपुल, भण्डार सब रह जायेंगे
पुत्र, नारी, माई बान्धव, वाट फर सवं खायेंगे ||
2. रह जायेंगे वस, यह तेरा
यह शव जलाने के लिए ।
रह जायेगा तू हो पेला, दुख उठाने के लिए ॥
स्वयं ही नर ! पाव पा
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नभरि पर उठा ।
महावीर ने सुन
दिन मे ॥